
श्री आनंदपुर साहिब : सिखों के नौवें गुरु श्री गुरु तेग बहादुर जी के 350वें शहीदी पुरब को मनाने के लिए पंजाब सरकार ने 23 से 25 नवंबर तक आनंदपुर साहिब में राष्ट्रीय स्तर के भव्य समारोह आयोजित किए। ये कार्यक्रम धार्मिक आस्था और राजनीतिक महत्व दोनों से जुड़े थे।
पंजाब विधानसभा का विशेष सत्र
इस ऐतिहासिक अवसर पर एक अभूतपूर्व घटना घटी जब पंजाब विधानसभा का विशेष सत्र 24 नवंबर को आनंदपुर साहिब में बुलाया गया। यह पहली बार था जब किसी राज्य की विधानसभा का सत्र एक धार्मिक स्थल पर आयोजित किया गया। इस सत्र में सभी पक्षों के विधायकों ने भाग लिया और गुरु तेग बहादुर की महान विरासत को सम्मानित किया गया।
धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रम
आनंदपुर साहिब का पूरा शहर इन समारोहों के लिए तैयार किया गया था। शहर को सफेद रंग से सजाया गया ताकि यह गुरु साहब की पवित्र विरासत का प्रतीक बने। इन तीन दिनों के दौरान विभिन्न धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए गए:
नगर कीर्तन: 24 नवंबर को सुबह 8 बजे किरतपुर साहिब से आनंदपुर साहिब तक भव्य नगर कीर्तन निकाला गया।
अखंड पाठ: 23 नवंबर से विरासत-ए-खालसा में अखंड पाठ साहिब का आयोजन किया गया, जिसमें राज्य के मुख्यमंत्री भगवंत मान और अन्य प्रमुख नेता उपस्थित थे।
सर्व धर्म समागम: 23 नवंबर को एक बहु-धार्मिक सम्मेलन आयोजित किया गया जिसमें विभिन्न धर्मों के प्रमुख धार्मिक नेता शामिल थे।
प्रदर्शनियां और विरासत यात्रा: गुरु तेग बहादुर के जीवन पर एक डिजिटल प्रदर्शनी लगाई गई और विरासत-ए-खालसा से भाई जैता जी स्मारक और पंज पिरा पार्क तक निर्देशित भ्रमण आयोजित किए गए।
परंपरागत कलाएं: गतका, तलवार-ढाल युद्ध प्रदर्शन, और शस्त्र प्रदर्शन जैसे पारंपरिक सिख मार्शल आर्ट्स का प्रदर्शन किया गया।
ड्रोन शो और प्रकाश प्रदर्शन: आधुनिक तकनीक का उपयोग करते हुए ड्रोन शो और प्रकाश-प्रदर्शन का आयोजन किया गया, जो गुरु तेग बहादुर के जीवन और उनकी शहीदी को चित्रित करता था।
भाई जैता जी स्मारक का महत्व
इस ऐतिहासिक आयोजन का केंद्र भाई जैता जी स्मारक था, जहां विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया गया। यह स्थान सिख इतिहास में महत्वपूर्ण भूमिका रखता है।
लाखों श्रद्धालुओं की उपस्थिति
इन तीन दिनों के दौरान देशभर और विदेश से लाखों श्रद्धालु आनंदपुर साहिब पहुंचे। पंजाब सरकार ने बड़े पैमाने पर व्यवस्था की थी, जिसमें शामिल थे:
- टेंट सिटी का निर्माण जहां 10,000 श्रद्धालु रह सके
- शटल सेवाएं विभिन्न पार्किंग क्षेत्रों से
- व्यापक सुरक्षा व्यवस्था
- नई स्वच्छता सुविधाएं
गुरु तेग बहादुर का ऐतिहासिक महत्व
गुरु तेग बहादुर, जो 1621 में अमृतसर में पैदा हुए थे, सिख धर्म के नौवें गुरु थे। उन्होंने 1665 में आनंदपुर साहिब की स्थापना की थी। गुरु साहब को ‘हिंद की चादर’ के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि उन्होंने धार्मिक स्वतंत्रता और मानवाधिकारों की रक्षा के लिए अपना जीवन बलिदान दिया था, विशेषकर कश्मीरी पंडितों की रक्षा करते हुए।
भग की समाप्ति
25 नवंबर को अखंड पाठ साहिब की भोग का आयोजन किया गया, जिसमें मुख्यमंत्री भगवंत मान की उपस्थिति थी। इसके साथ ही वनरोपण अभियान भी शुरू किया गया, जिसमें 3.50 लाख पौधे लगाए गए।
संदेश और प्रभाव
ये समारोह सिर्फ एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं बल्कि एक ऐतिहासिक और सामाजिक संदेश भी देते हैं। गुरु तेग बहादुर की शिक्षाएं – धार्मिक स्वतंत्रता, मानवीय करुणा, बलिदान और साहस – आज के समय में भी सभी मानवता के लिए मार्गदर्शक प्रकाश हैं।